Molecular biology-
आणविक जीवविज्ञान (Molecular biology) जीव विज्ञान की एक शाखा है जो जीवन के आणविक आधार का अध्ययन करती है। इसमें कोशिकाओं और जीवों में डीएनए, आरएनए और प्रोटीन जैसे जैविक अणुओं की संरचना, कार्य और व्यवहार का अध्ययन शामिल है।
आणविक जीवविज्ञान में कई महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं, जिनमें शामिल हैं:
- केंद्रीय डोगमा (central dogma): यह सिद्धांत बताता है कि डीएनए से आरएनए से प्रोटीन तक अनुवांशिक जानकारी का प्रवाह एकतरफा होता है।
- जीन (gene): जीन डीएनए का एक ऐसा अनुक्रम है जो एक विशिष्ट प्रोटीन या आरएनए अणु के उत्पादन के लिए कोड करता है।
- अनुलेखन (transcription): यह प्रक्रिया है जिसके द्वारा डीएनए से आरएनए को संश्लेषित किया जाता है।
- अनुवाद (translation): यह प्रक्रिया है जिसके द्वारा आरएनए से प्रोटीन को संश्लेषित किया जाता है।
- प्रोटीन (protein): प्रोटीन जैविक अणु होते हैं जो कोशिकाओं के सभी कार्यों को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आणविक जीवविज्ञान में कई महत्वपूर्ण तकनीकें शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:
- पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर): यह एक तकनीक है जिसका उपयोग डीएनए को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस: यह एक तकनीक है जिसका उपयोग डीएनए और आरएनए जैसे अणुओं को आकार के आधार पर अलग करने के लिए किया जाता है।
- ब्लॉटिंग: यह एक तकनीक है जिसका उपयोग डीएनए और आरएनए जैसे अणुओं को एक झिल्ली पर स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है ताकि उनकी पहचान की जा सके।
- सीक्वेंसिंग: यह एक तकनीक है जिसका उपयोग डीएनए के न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
आणविक जीवविज्ञान का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- चिकित्सा (medicine): आणविक जीवविज्ञान का उपयोग आनुवांशिक रोगों का निदान और उपचार करने के लिए किया जाता है।
- कृषि (agriculture): आणविक जीवविज्ञान का उपयोग फसलों की उपज बढ़ाने और कीटों और रोगों के प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- औद्योगिक (industrial): आणविक जीवविज्ञान का उपयोग नए उत्पादों और प्रक्रियाओं को विकसित करने के लिए किया जाता है।
आणविक जीवविज्ञान एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है जिसका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव है। यह क्षेत्र के भविष्य में नए चिकित्सा उपचार, बेहतर फसलें और अधिक सतत औद्योगिक प्रक्रियाओं के विकास का वादा है।